Top Hindi stories Secrets

मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।

महीने बीत गए और सर्दी आ गई। घास का मैदान बर्फ से ढक गया, और भोजन दुर्लभ हो गया। टिड्डा वैभव, जिसने सर्दियों के लिए तैयारी नहीं की थी, ठंडा और भूखा था। वह अंजलि के घर गया और खाना मांगा.

लेकिन उसे अपनी लंबी पूंछ पर बहुत गर्व था। अपनी लंबी लंबी पूंछ के कारण, वह कभी अपने पड़ोसियों के पास नहीं जा सका। वह केवल बड़े घरों और पैसे वाले लोगों से मिलने जाता था। उसके घमण्ड के कारण उसके पड़ोसी उसे नापसंद करने लगे। वे पीठ पीछे मोर का मजाक उड़ाते थे। एक दिन उन्होंने उस से मज़ाक करने का करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि एक बर्ड क्लब बनाया गया है और सभी पक्षियों ने मोर को अपना नेता

सुबह – शाम इतना दूध हो जाता , गोपाल का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता।

ये किताब मैं मेरी मां स्वर्गीय श्रीमती अनिमा भट्टाचार्या को समर्पित करती हुं।

शहर के प्रसिद्ध व्यापारी शिव टंडन का शव हाईवे के पास के जंगल में मिलता है। उनकी पत्नी मेघना टंडन ने इस कत्ल का इल्ज़ाम अपने पर्सनल जिम ट्रेनर अंकित सिन्हा पर लगाया। उनका कहना था कि...

आपके वेबसाइट को मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहती हूं कि आपने इतना अच्छा लिखा और हम जैसे बच्चों को फायदा करवाया।

थोड़ी सी भी गंदगी होने पर उसे साफ करते और फिर उसे मोड़ कर अपनी जेब में रख लेते। रुमाल की गंदगी उन्हें पसंद नहीं थी। राजू को इन सब बातों की समझ नहीं थी , वह सोचता रहता था कि बड़े भैया ऐसा क्यों करते हैं , लेकिन कभी उसके समझ में नहीं आया।

बकरी ने अंतिम समय सोचा , अगर अभी प्रयत्न नहीं किया तो वह अपने बच्चे से कभी नहीं मिल पाएगी। ऐसा सोचते हुए एक बार जोरदार प्रयास किया। रस्सी का फंदा बकरी के गले से टूट गया। वह बकरी जान – प्राण लेकर सलीम की ओर भागी।

मोर की याद में जो आंसू का-संगी ने बहाये, वह मोर के पंखो पर गिरे और रंग बिरंगे निशान छोड़ गए, जो आज भी मोर के पंखो पर देखे जा सकते हैं।

‘क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?’ बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आँगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सिर भी चुड़ैल मँडरा फणीश्वरनाथ रेणु

मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

मदन बेहद गरीब था, घर में बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनका भरण-पोषण मदन के कार्य से ही चलता था। मदन दिनभर जंगलों में घूमता लकड़ियां जमा करता और शाम तक बाजार में बेचकर खाने-पीने small hindi stories with moral का सामान घर ले आता। इसी से पूरा घर दो वक्त की रोटी खा पाता था।

एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।

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